हो रही है ये इनायतें,फिर बावफा कौन है।
कसौटी पर खरा उतरा नहीं है
आंखों की चमक ऐसी, बिजली सी चमकने दो।
*यह भगत सिंह का साहस था, बहरे कानों को सुनवाया (राधेश्यामी छ
ज़िन्दगी भर ज़िन्दगी को ढूँढते हुए जो ज़िन्दगी कट गई,
जो मन बुद्धि का सार्थक उपयोग करना जान लिया, असल मायने में वह
कितना भी कह लूं, कहने को कुछ न कुछ रह ही जाता है
कल जब होंगे दूर होकर विदा
राम को कैसे जाना जा सकता है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
दुनिया मे नाम कमाने के लिए
ग़ज़ल _ वफ़ा के बदले , वफ़ा मिलेगी ।