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2 Nov 2021 · 1 min read

आज़ाद गज़ल

आईए एक दूसरे पे हम इल्जाम लगाएं
फ़िक्र है कितनी ज़रा अवाम को बताएं।
यही तो है सियासतदानों का सिलसिला
भला हम औ आप क्यों वंचित रह जाएं ।
ज्म्हुरियत पे करें जम कर भरोसा मगर
काम सारे उसके ही खिलाफ़ कर वाएं।
वक़्त के साथ चलना ज़रूरी तो नहीं है
क्यों न वक़्त से आगे हम निकल जाएं ।
हुकूमत हो हमारी या फिर हो तुम्हारी
बस फाएदे में जनता कभी न आने पाएं
-अजय प्रसाद

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