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18 Aug 2021 · 1 min read

सरजू की लहरें भरे उफान

सरजू की लहरें भरे उफान , गा रही है मंगल गीत
बहुत दिनों बाद वापस विराजे रामलला
अयोध्या धाम
आओ सखि री मिल गाओ री मंगल गीत और बधाईयां

राग प्रेम आस्था और भक्ति जागी है हर जन मन में
जगत का पालन हार सृष्टि कर्ता बसा है कन कन में
व्यथित क्यों न हो आस्था जब वो रहता हो खुले में
विश्व जनार्दन जो है उसको भी न हो मयस्सर विश्राम

अब लौटा है इतने बरस बाद सखि री गाओ बधाईयां

प्राण आहृलाद भरे जगत में जो उसकी अवज्ञा स्वीकार नहीं
अमूर्त अविनाशी अजेय अमर पर हमारे लिए निराकार नहीं
साकार रूप में जो पुजता है युगों से मन मंदिर और घर घर
हम सबका राजदुलारा कौशल्या नंदन
तारन हार है राम

आओ सखि री मिल गाओ री मंगल गीत और बधाईयां

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