Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Nov 2024 · 1 min read

शंकरलाल द्विवेदी द्वारा लिखित मुक्तक काव्य।

शंकरलाल Dwivedi was a prominent Hindi and Braj Bhasha poet, celebrated for his versatility in various poetic genres. Born on July 21, 1941, in Aligarh, Uttar Pradesh, he gained immense popularity in Kavi Sammelans (poetry gatherings) for his powerful and emotive recitations. His work covered a broad spectrum of emotions and themes, from nationalistic fervor in Veer Ras (heroic poetry) to romantic and lyrical expressions in Shringar Ras (romantic poetry). His poetic style captivated audiences, blending passion with emotional depth..

2 Likes · 210 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मन के टुकड़े
मन के टुकड़े
Kshma Urmila
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
नये साल के नये हिसाब
नये साल के नये हिसाब
Preeti Sharma Aseem
मैं नहीं कहती कि तुम अच्छे हो !
मैं नहीं कहती कि तुम अच्छे हो !
Jyoti Pathak
आंखों से झांकती फरियादें बे'बसी है
आंखों से झांकती फरियादें बे'बसी है
Dr fauzia Naseem shad
पिता का प्यार
पिता का प्यार
Befikr Lafz
जुआं उन जोखिमों का कुंआ है जिसमे युधिष्ठिर अपना सर्वस्व हार
जुआं उन जोखिमों का कुंआ है जिसमे युधिष्ठिर अपना सर्वस्व हार
Rj Anand Prajapati
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
नयन प्रेम के बीज हैं,नयन प्रेम -विस्तार ।
डॉक्टर रागिनी
बात
बात
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"वक्त" भी बड़े ही कमाल
नेताम आर सी
"देश-हित"
Dr. Kishan tandon kranti
कुपोषण की पहचान कारण और बचने के उपाय
कुपोषण की पहचान कारण और बचने के उपाय
Anil Kumar Mishra
* चतु-रंग झंडे में है *
* चतु-रंग झंडे में है *
भूरचन्द जयपाल
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
"टूट कर बिखर जाउंगी"
रीतू सिंह
हाथ में कलम और मन में ख्याल
हाथ में कलम और मन में ख्याल
Sonu sugandh
जो कहना है
जो कहना है
DrLakshman Jha Parimal
गीत
गीत
Rambali Mishra
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
मैं हूँ कि मैं मैं नहीं हूँ
VINOD CHAUHAN
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
वो अपनी जिंदगी में गुनहगार समझती है मुझे ।
शिव प्रताप लोधी
ना तो कला को सम्मान ,
ना तो कला को सम्मान ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
क्रम में
क्रम में
Varun Singh Gautam
हवाएं अगर मौसम का रुख बदल सकती हैं तो यकीन माने दुआएं भी मुस
हवाएं अगर मौसम का रुख बदल सकती हैं तो यकीन माने दुआएं भी मुस
ललकार भारद्वाज
3251.*पूर्णिका*
3251.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सरसी
सरसी
Dr.VINEETH M.C
*सौम्य व्यक्तित्व के धनी दही विक्रेता श्री राम बाबू जी*
*सौम्य व्यक्तित्व के धनी दही विक्रेता श्री राम बाबू जी*
Ravi Prakash
विरह रस
विरह रस
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
प्यास
प्यास
sushil sarna
ग्रीष्म ऋतु --
ग्रीष्म ऋतु --
Seema Garg
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
मैं मगर अपनी जिंदगी को, ऐसे जीता रहा
gurudeenverma198
Loading...