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1 Aug 2021 · 1 min read

ऊपर

आज मैं ऊपर हूं
मेरे पंख लौटा दो मुझे
कहते थे तुम
उड चलो कहीं
बढ़ो तुम भी
विचरण करो
मेरे संग
तुम्हें पंख मिलेगा
आज मैं ऊपर हूं
मेरे पंख लौटा दो मुझे
मुझे क्यों लगता है
सब नीचे हैं
अब मुझे कोई देख नहीं सकता
मैं ही सबसे ऊपर हूं
अब बहुत उड़ चुका हूं
आज मैं ऊपर हूं
मेरे पंख लौटा दो मुझे
तुम सब नीचे हो
दूर रहो मुझसे
लघु तुम दीर्घ हम
मैं बदल चला हूं आज
सबसे अलग
चूंकि
आज मैं ऊपर हूं
मेरे पंख लौटा दो मुझे

मनोज शर्मा

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