गणेश मेरे घर आइये
गणेश मेरे घर आइये
विघ्नहरण मंगल करण, गजानन जिनका नाम।
प्रथम पूज्य गणेश जी, शत्-शत् तुम्हें प्रणाम।
गणपति मेरे घर आईये, घर में हो मंगलकाज,
शुभ-लाभ द्वारे लिखूँ, बंदनवार से सजाऊँ धाम।
विघ्नेश्वराय, लम्बोदराय, गौरीसुताय गणनाथ,
पूर्ण करों भक्तों के काज है जग में तुम्हारा नाम।
गौरा के तुम लाल हो, शिवशंकर के अभिमान,
कर जोड़ विनती करूँ, बन जाए बिगड़े काम।
रिद्धि-सिद्धि संग पधारो होकर मूषक पे सवार,
कार्य सिद्ध हो जाएगा, मिले सभी को आराम।
मनोकामना पूर्ण हो और जग में हो पहचान,
स्तुति करूँ नित-रोज तुम्हारी सुबह-ओ-शाम।
कृपा तुम्हारी बनी रहे नव शब्दों को नित खोज,
ब्रह्म, विष्णु, महेश जी, राधा-कृष्णा, सीता-राम।
हे प्रभु करुणानिधि गनपति दो शब्दों का भंडार,
यूँ ही कृपा बनी रहे, दे गतिविधियों को आयाम।
सुमन अग्रवाल “सागरिका” आगरा