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23 Jul 2021 · 1 min read

फिर

आओ फिर
एक बार यौंही
डूब कर खिल जाओ
पानी के बुलबुले-सी
गहरी चमक
मिल जाती है तुम में
धरती की काया
सज गयी
फिर पहले सी
जैसे तुम थे वर्षों तक
उजली आंखों में थे
आज पुनः सहेजा है तुम्हें
पुरानी यादों की तरह
हम दोनों
एक बार फिर खिले
उजले पुष्प की तरह۔۔ ।

मनोज शर्मा

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