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21 Jul 2021 · 1 min read

जात-पात

जात-पात

जात-पात के रोग से, ग्रस्त हुआ है देश।
भेद-भाव ने है दला, कब से वर्ग विशेष।।

जात-पात के जहर से, करके बंटा-धार।
मरघट-पनघट अलग हैं, करते नहीं विचार।

जात-पात के भेद में, नित के नए प्रपंच।
जात मुताबिक संगठन, जात मुताबिक मंच।।

जात-पात है भयावह, जात भयानक रोग।
करें नहीं उपचार क्यों, झेल रहे हैं लोग।।

जात-पात को झेल कर, पीया कड़वा घूंट।
चैन छीन तन का लिया, लिया मान है लूट।।

जात-पात के कीच में, सने सभी नर-नार।
प्रदूषित हुए कीच से, सभी बू रहे मार।।

जात-पात के भेद से, स्वयं को अब उबार।
सिल्ला विनोद कह रहा, होगी मौज-बहार।।

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
616 Views

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