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11 Jun 2021 · 1 min read

छप्पय छंद "शिव-महिमा"

(छप्पय छंद)

करके तांडव नृत्य, प्रलय जग में शिव करते।
विपदाएँ भव-ताप, भक्त जन का भी हरते।
देवों के भी देव, सदा रीझें थोड़े में।
करें हृदय नित वास, शैलजा सह जोड़े में।
प्रभु का निवास कैलाश में, औघड़ दानी आप हैं।
भज ले मनुष्य जो आप को, कटते भव के पाप हैं।।

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छप्पय छंद “विधान”

छप्पय एक विषम-पद मात्रिक छंद है। यह भी कुंडलिया छंद की तरह छह चरणों का एक मिश्रित छंद है जो दो छंदों के संयोग से बनता है। इसके प्रथम चार चरण रोला छंद के, जिसके प्रत्येक चरण में 24-24 मात्राएँ होती हैं तथा यति 11-13 पर होती है। आखिर के दो चरण उल्लाला छंद के होते हैं। उल्लाला छंद के दो भेदों के अनुसार इस छंद के भी दो भेद मिलते हैं। प्रथम भेद में 13-13 यानि कुल 26 मात्रिक उल्लाला के दो चरण आते हैं और दूसरे भेद में 15-13 यानि कुल 28 मात्रिक उल्लाला के दो चरण आते हैं।

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

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