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31 May 2021 · 1 min read

बहार का इंतजार

मेरे दर्द से मुतासिर नहीं हो खुदा तुम ,
वरना भेज ना देते बहारों को तुम ।

नजरें दीदार ए बहार को तरस गई ,
और कितना इंतजार करवाओगे तुम।

अब तक तो खार ही आएं है हिस्से में ,
फूलों से हमारा रिश्ता कब जोड़ोगे तुम ।

ख्वाबों से दिल को तसल्ली नहीं होती ,
हमारे जज्बातों को कुछ तो समझो तुम ।

बहारें आएं तो हम भी खुशी से झूम लें ।
बस थोड़ी सी तो बहार भेज दो तुम ।

क्या सारी उम्र गुजर जायेगी इंतजार में ,
आखिर कब तक यूं ही तरसाओगे तुम ?

हर इंसा की तकदीर में आती तो है बहार ,
मेरी ऐसी तकदीर कब लिखोगे तुम ?

ए खुदा ! तुम मेरे दर्द से मुतासीर कब होेगे ?
हम सदायें दे रहें मगर कैसे खामोश हो तुम ।

यह खामोशी तुम्हारी ले लेगी हमारी जान देखो !
फिर ना कहना “थोड़ा और इंतजार कर लेते तुम ”

” अनु ” को मगर फिर भी एतबार है तुम पर ,
देखते है कब तक यूं संगदिल बने रहते हो तुम ।

4 Likes · 6 Comments · 639 Views
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