दोहे- माटी (राना दोहावली-१,२,३)- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
तीन दोहे बिषय- “माटी”

राना दोहावली- १,२,३,
बिषय- “माटी”
१
माटी का यह तन बना,
माटी में मिल जाय।
जीवन का यह खेल है,
मेटन नहीं उपाय।।
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२
माटी की गगरी बनी,
शीतल जल हो जाय।
सूक्ष्म तत्व भी बचे रहे,
नष्ट न होने पाय।।
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३
बोले माटी के दिये,
मेरा इतना काम।
जल कर दिया रहूं करूं,
इतनी ही पैगाम।।
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© राजीव नामदेव “राना लिधौरी” टीकमगढ़
संपादक “आकांक्षा” पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
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