Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
20 May 2021 · 1 min read

आँसूओं की बरसात

आँसूओं के बरसात में गम बह गई
दिल में जमी थी काई वह निकल गई
बोझिल जो साँसें हो चुकी थी कबसे,
इन आँसूओं के बहने से बोझ ढह गई।
आँसूओं की बरसात यूँही नही होती,
चोट लगी हो दिल में तो आँख है रोती,
आँसूओं के साथ सारे दर्द निकल गए,
बरसात के बाद जैसे आस पास धुल गए।
वफ़ा के बदले जब मिलती है बेवफ़ाई ,
अपेक्षाओं की बोझ जब बढ़ती जाई,
आँसूओं की बरसात मन को भिंगोये,
जैसे दिल ने हमारी चोट गहरी खाई।
आँसूओं की बरसात जब दिल से होती,
मन के अंदर पलती बुराई खत्म होती,
ह्रदय निर्मल निश्छल पूरी तरह हो जाता,
छल कपट द्वेष दिल से है खत्म होती।

Loading...