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30 Mar 2025 · 1 min read

छुपा हुआ भाव!

छुपा हुआ भाव!

तुम थी अकेली, मै था अकेला,
तिरछी नजरों से तुमने मुझे देखा, मैने तुम्हे,
शब्द ठहरे थे लब्ज़ पे,
पर तुम हमे कुछ न कह सके, न हम तुम्हे,
मंजिल की चाह में तुम भी चल दिए और हम भी चल दिए।।

“विहल”

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