” सत्यम शिवम सुंदरम “ (मैथिली )

” सत्यम शिवम सुंदरम “
(मैथिली )
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समस्त लेखक ,कवि आ साहित्यकार केँ हमर नमन जिनक रचनाक प्रस्तुति ह्रदय कें मोहि लेत अछि ! रहि-रहि ओहि कृति मानस पटल पर घुरियाइत रहैत अछि ! विषयक चयन ,अभिव्यक्ति ,भाषा ,सरलता ,माधुर्यता ,सकारात्मक सोच आ निष्कर्ष लेखनिक ‘सप्त ऋषि ‘ थिक ! हमरा लोकनिकेँ ‘ध्रुबतारा ‘ बनि साहित्य- क्षितिज मे चमकैत रहक चाहि ! कखनो -कखनो हम सब ‘ सत्यम शिवम् सुन्दरम ‘ क मौलिक मंत्र बिसरि जाइत छी ! जनमानस लग’ पहुँचबाक लेल रामचरित मानस रचयिता ‘तुलसी दास’ बनक प्रयास हेबाक चाहि ! विद्वता . दर्शन आ जटिलताक प्रयोगक लेल ‘विनय पत्रिका “क रचना हेबाक चाहि ! हमरा सदैव इ अभिलाषा रहैत अछि जे हमर अभिव्यक्ति समस्त मित्र लग पहुँचय ! यथार्थतः किनको लग समयक आभाव छनि मुदा उपरोक्त मंत्र केँ अपन अस्त्र बनने रहब त युगयुगान्तर धरि ‘ध्रुबतारा ‘ समान साहित्य क्षितिज मे चमकैत रहब!
हमर शुभकामना
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल