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19 May 2021 · 1 min read

बरसात

उमड़- घुमड़ कर बादल आये,
काले – काले बादल छाये।

कड़-कड़ बिजली कड़कने लगी,
धरती मानो फड़कने लगी,
पक्षी दुबक गए घोंसलों में,
जान आयी नयी कोंपलों में,

जामुनी से बादल गहराये,
काले – काले बादल छाये।

बादल लगे काली कमली सा ,
बगुलों की कतार रूपहली सा,
ठंडी – ठंडी बहे पुरवाई ,
खेतो में फसले लहराईं,

उदास मन को बादल भाये,
काले – काले बादल छाये।

तालाब में बर्षा की बूंदें गिरे,
हर कली, फूल, पत्ती खिले,
आम, लिची से बागीचे महके,
डाली – डाली चिड़िया चहके,

रुप बदल-बदल बादल आये,
काले – काले बादल छाये।

नूर फातिमा खातून “नूरी” (शिक्षिका)
जिला-कुशीनगर‌‌‌

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