Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
10 Apr 2021 · 1 min read

सुमति छंद (भारत देश)

प्रखर भाल पे हिमगिरि न्यारा।
बहत वक्ष पे सुरसरि धारा।।
पद पखारता जलनिधि खारा।
अनुपमेय भारत यह प्यारा।।

यह अनेकता बहुत दिखाये।
पर समानता सकल बसाये।।
विषम रीत हैं अरु पहनावा।
सकल एक हों जब सु-उछावा।।

विविध धर्म हैं, अगणित भाषा।
पर समस्त की यक अभिलाषा।।
प्रगति देश ये कर दिखलाये।
सकल विश्व का गुरु बन छाये।।

हम विकास के पथ-अनुगामी।
सघन राष्ट्र के नित हित-कामी।।
‘नमन’ देश को शत शत देते।
प्रगति-वाद के परम चहेते।।
=================
लक्षण छंद:-

गण “नरानया” जब सज जाते।
‘सुमति’ छंद की लय बिखराते।।

“नरानया” = नगण रगण नगण यगण
(111 212 111 122)
2-2चरण समतुकांत, 4चरण।
***************

बासुदेव अग्रवाल ‘नमन’
तिनसुकिया

Loading...