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28 Mar 2021 · 1 min read

एक पल

आओ क्षण भर बैठो
देखो तो सही
वक्त नहीं बदला
हां पर तुम बदल गये हो
अब न कोई प्रणय
और न ही कोई विस्तार
प्रेम का दुःख का
स्नेह कहीं भंग हो चला
साज कहीं छूट गया
पुरानी सोच नये से इतर है
बदले भाव बदले अर्थ
भाव आत्मसात् नहीं
आओ तुम एक बार फिर
क्षण भर बैठकर
यथार्थ को देखो
मुझे क्षण भर देखो
मेरा स्थिर समर्पण
व्यर्थ नहीं धीर है मेरा
तुम आज भी तुम हो
मैं मैं से अलग कुछ
आओ लौटकर क्षण भर
एक बार फिर

मनोज शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 452 Views

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