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15 Mar 2021 · 1 min read

दो पंक्तियाँ

यूँ तो हमने रब से तुम्हें मांगा नहीं और दोस्ती भी हो गई,
गर मांग लेता तो क्या होता सोचता रहता हूँ।

–अशोक छाबडा

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