नीक बुढ़ापा
मां शारदे को प्रणाम्
बुढा़पा
पनु सबते नीक बुढा़पा हइ।
पुरिखन की लीक बुढा़पा हइ।।
पनु ,,,,,,,,,,,,
बचपन मा बाबकि पांउ छुई,
आशीष मिलइ बुढ़वा होवउ
जस हम हाली, तस तुम हालउ
भगवान करंइ, डगमग ड्वालउ
अस कहिकइ करति लडा़पा हइ।
पनु ,,,,,,,,,,, ।।
हमते उइ बार रंगाइ रहे
कंइचिति नकबार कटाइ रहे
बच्चन ते देह मलाइ रहे
बप्पकि पइसा बचवाइ रहे
बचपन ते ठीक बुढा़पा हइ।
पनु ,,,,,,,,,,,, ।।
बाबा मलंग खटिया परिहां
दादिक कुनबा पइरा परिहां
अम्मा हंइ व्यस्त काम मइहां
बप्पा हंइ जाति काम परिहां
घरमा ना कउनउ स्यापा हइ।
पनु ,,,,,,,,,,,,,, ।।
बाबा लइ जाति बैंक हमका
दाम निकारि आवति घरका
सब प्वाता घेरि लेति उनका
तब टाफी मंगाइ बांटति सबका
इतना ते करति घरापा हइ।
पनु ,,,,,,,,,,,,,,,, ।।