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14 Feb 2021 · 1 min read

सपनों की नगरी में

सपनों की नगरी में

सपनों की नगरी में
इक मेरा भी सपना
छोटा सा , नन्हा सा
कुसुमित पुष्प सा

कोमल पंखुड़ियों , कुछ काँटों के
सानिध्य में पल्लवित होता
मेरे सत्प्रयासों की दिशा होता

थोड़ा सा आसमान
मेरे सपनों की चाहत
अकर्म के मायाजाल से परे
मेरा सपना

स्वयं को सींचता , पल्लवित करता
विशाल ह्रदय से सानिध्य में
सकारत्मक सोच को धरोहर करता

सत्कर्म की कर्मभूमि पर
समंदर की लहरों सा
स्वयं को संयमित करता

मेरे सपनों को थकान से क्या लेना
इसे तो मंजिल पर है रुकना

मेरे सपनों का रूप सलोना
प्यारा – प्यारा बौना – बौना

सपना तो सपना होता है
सच हो तो अपना होता है

सपनों की नगरी में
इक मेरा भी सपना
छोटा सा , नन्हा सा
कुसुमित पुष्प सा

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