उत्तराखंड त्रासदी
आज सुनो रुदन हिमालय का
वह बांध तोड़ कर बह आया
आता ही जाऊंगा तब तक
मानोगा नही जब तक मानव
मैं उत्तराखंड का जीवन हूँ!
शिव भी लाये थे जटाओं से
गंगा की अविरल शीतल धारा
कितनी निर्मल-पावन माँ गंगा
आज वही पिता पर्वतराज सह रहा
मैं उत्तराखंड का जीवन हूँ!
जड़ नहीं जान है प्रकृति में
निशक्त नही-निशब्द है चाहे
तुम्हारी उपेक्षा से आहत-विकल-
आज मैं पहाड़ स्तब्ध हूँ
मैं उत्तराखंड का जीवन हूँ!
सदियों से खड़ा सुदृढ़ मैं
माँ भारती का रक्षक बन मैं
बर्फ शिखरों से श्रंगारित मैं
अब तो उजाड़ने को ततपर
मैं उत्तराखंड का जीवन हूँ!
मानव व्यवहार से तड़फता मैं
टुकड़े टुकड़े हो रहा हूं मैं
मेरा अस्तित्व मिटाकर मानोगे
तुम्हारा व्यवहार चिंतित कह रहा मुझे
मैं उत्तराखंड का जीवन हूँ!
–डॉ मंजु सैनी—–