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5 Feb 2021 · 1 min read

मिली उर्वशी अप्सरा,

मिली उर्वशी अप्सरा,या है कोई ख्वाब।
प्रेम ईष्ट आकृष्ट हो,लायी एक गुलाब।।

मदमाती मनमोहनी, मनहर मोहक रूप।
मृगनयनी मायावती, मुस्काती मुख धूप।।

अधरों पर फैला हुआ,है अद्भुत उन्माद ।
चंचल नैनों से मुखर,होती है संवाद।।

रंग बिरंगी प्रीत का, है नख-शिख श्रृंगार।
आह्लादित अंतर हुआ,बने गले का हार ।।

देख हुआ व्याकुल मदन,मद मादक सौन्दर्य।
प्रेम क्षुधा मुखरित हुआ,खोया अपना धैर्य।।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

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