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22 Dec 2020 · 1 min read

प्रकृति

झूम झूम के प्रकृति , देती नित संदेश
धरा एक रंग मंच है , बदल रहे नित वेश

आना जाना नियम है , करे जिसे हम पूर
होती सबकी एक गति , कोई नाही दूर

राजा हो या रंक हो , जाये उस ही राह
आयेगा जब बुलावा , धरी रहे हर चाह

माटी की है देह यह , नाहीं उसका मोल
करता अच्छे कर्म जो , होय उसका तोल ,

अन्त समय निकट हो जब,अपने छोड़े हाथ
जाये कोई साथ नहिं ,धर्म चले बस साथ

Language: Hindi
70 Likes · 392 Views
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