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8 Sep 2020 · 1 min read

दिन-दिहाड़े

दिन-दिहाड़े

गली में भौंके कुत्ते
मैंने सोचा
दिन-दिहाड़े तो
नहीं आते चोर
तभी किसी ने
खटखटाया दरवाजा
एक था सफेदपोश
अनेक चमचों-चेलों संग
आया था मांगने वोट
चमचों ने किया स्तुतिगान
उस निकम्मे सफेदपोश का
जिसे पांच साल पहले था जिताया
हो गया उसका लिबास
और अधिक उजला
हो गई उसकी गाड़ी
और अधिक बड़ी
मासूम जानवर पहचान गए
भली-भांति
नहीं पहचान पाया
साथ आया जनसमूह
अपने बीच के
चोर को

-विनोद सिल्ला

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