चिड़िया
मनहरण घनाक्षरी:
चिड़ी चुगे दाना पानी , चूजे करें मन मानी ,
ची-ची चीं-चीं करते थे ,बसेरा था डाल पर |
आँगन में उड़ती जो,घर में बसेरा करे |
चह चह करती वो, सबेरा हो डाल पर |
अंडे देती बार -बार, सेती उसे हर बार,
उड़ना सिखाती थी वो , डेरा नित डाल पर।
लुप्त हुयी चिड़िया जो ,सूना घर आंगन है ,
सूने- सूने घोसले हैं,अंधेरा है डाल पर |
–डॉ० प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, ‘प्रेम’