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25 Aug 2020 · 1 min read

रेत सी ढेर सरकती जिंदगी

रेत सी ढेर सरकती जिंदगी
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रेत सी ढेर सरकती जिंदगी
कहीं पर न ठहरती जिंदगी

जिद्दोजहद में वीरान हुई
है बिगड़ती संवरती जिंदगी

खट्टे मीठे अनुभवों के साथ
नये पाठ सीखाती जिंदगी

दुनियादारी के भंवरजाल में
उलझती सुलझती जिंदगी

सागर की लहरों के साथ
सदैव बहती रहती जिन्दगी

मनसीरत को राहें हैं दिखाई
फूलों सी है महकती जिंदगी
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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