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22 Aug 2020 · 1 min read

“अब कुछ पल ठहर के चलते हैं”

बहुत देर हुई चलते चलते,
अब कुछ पल ठहर के चलते हैं।
********
भूलकर भी तेरी गली से ना गुजरे हम।
इसलिए अक्सर राहे बदल के चलते हैं।
********
तू सोचता है हम में समझ नहीं।
काश जानते कि हम नासमझ बन के चलते हैं।
********
लोग समझते हैं में शराबी हूं।
हम तो अक्सर खाली पैमाना लिए बहक के चलते हैं।
********
दीदार ना हो जाएं तुम्हारा इन गलियों में।
इसलिए अपनी नज़रें झुका के चलते हैं।
********
बहुत देर हुई चलते चलते,
अब कुछ पल ठहर के चलते हैं।

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