Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2020 · 3 min read

लत

मेहनतकश मजदूर, रेवड़ी और रिक्शावालों में देशी शराब की लत तो उन दिनों आम बात थी। उसको इतना बुरा भी नहीं समझा जाता था, तर्क ये था कि दिन भर की कड़ी मेहनत के बाद थके बदन को राहत की तो जरूरत होती ही है और शराब दवा के तौर पर सहजता से एक विकल्प की तरह मानी जाती थी।

मौन सामाजिक स्वीकृति मिलने पर शर्मिंदगी जरा कम होने लगती है।

निडरता और बेफिक्री बस इसी फिराक में तो रहती हैं कि कुंठा थोड़ी खिसके तो मस्ती का खुल कर इजहार हो। ये क्या बात हुई कि पीकर भी आये और चोरी चुपके घर में जाके सो गए।

इसीलिए लड़खड़ाते कदम भी गलियों में शान से थिरकने लगे,

बचपन में एक रिक्शावाला जब भी घर के बाहर से गुजरता था तो ये गाना गाता था।

“सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था, आज भी है और कल भी रहेगा”

बड़ा खुश मिजाज था, बच्चों को देखकर मुस्कुराते हुए गाना गाते हुए चला जाता था।

कुछ दिन तक उसकी ये रोज की गतिविधि को गौर करने के बाद , उससे डर लगना बंद हो गया। कभी कभार अगर वो बिना देखे चुपचाप चला जाता तो हम टोकने से भी नही चूकते-

“कि आज के गान होबे ना”?( आज गाना नही होगा क्या?)।

ये प्रोत्साहन काफी था उसको अपनी लय मे लाने के लिये।

जुबान पैरों की नकल करते हुए जोश में कहने लगती

“तुम रूठा न करो मेरी जाँ मेरी जान निकल जाती है”

फिर वो गाना गाकर रास्ते में बैठ कर अपने साक्षर होने का प्रमाण भी देने लगता। तिनके से कच्चे रास्ते पर अपना नाम लिख के दिखाता-

“सूरा”

उसकी लिखी इस तहरीर को हम बड़े गौर से देखते रहते।

ये लत भले और बुरे लोगों को मापने का पैमाना भी थी।

सभ्रांत परिवारों में इसका चलन कम था। सामाजिक बहिष्कार के साथ साथ ये डर भी लगता था कि शौक बाद में चलकर बच्चों की शादी ब्याह में रुकावट डाल देगा।

एक दो ही रहे होंगे जो खुल्लम खुल्ला अपनी इस लत को सार्वजनिक करने की हिम्मत जुटा पाए थे।

प्यारे बाबू उन पहले पहले के कर्णधारों में से एक थे। अच्छा व्यवसाय था। सांझ ढलते ही नौकर के हाथों अंग्रेजी शराब मंगा कर अपने बरामदे में बैठ कर ये शौक पूरा कर लेते थे।

इज्जतदार होने के कारण आते जाते लोग , बस देख कर गुज़र जाते थे और दुआ सलाम से भी परहेज रखते थे उस मौके पर। क्या पता बतलाने पर सुरूर में कुछ उल्टा सीधा बोल बैठें।

पर,
“न उन्होंने कभी गाना गाया न कभी रेत पर अपना नाम ही लिखा”

ये फर्क वो अपने हिसाब से कर बैठे थे कि देशी सस्ती शराब और “अंग्रेजी” का नशा और बेबाकी भी अलग अलग होती है।

लंबी उम्र पाने के बाद जब उन्होंने अलविदा कहा, तब तक जमाना करवट ले चुका था। अब लोगों में इस नशे की तख्ती के खुद पर चिपकने की परवाह कम हो चुकी थी।

शमशान घाट पर उनके पार्थिव शरीर को जब अग्नि दी जाने लगी तो लकड़ियों पर घी डालने के बावजूद पता नही क्यों, आग जलने से इंकार कर रही थी। हल्की बूंदाबांदी भी हो रही थी।

तभी एक आदमी ने उनके बेटे को अपनी ठेठ मानभूम की भाषा में कह दिया,
“तोर बाप एमोन जोलबेक नाईं, उआर एखोन मोद खाबार टैम होयें गेछे”

(तुम्हारे पिताश्री, इस तरह नही जलने वाले, उनकी शराब का वक़्त हो गया है)

आनन फानन में शराब की बोतलें मंगाई गई , एक बोतल चिता की लकड़ियों पर डाली गई।

आग की रोशनी में, कुछ साथ आये लोग, उनके इस आखिरी जाम को , अपने अपने ग्लास उठाकर, भरी हुई आंखों से सच्ची श्रद्धांजलि व्यक्त कर रहे थे।

कई बोल पड़े, जो भी बोलो, बहुत अच्छे इंसान थे।

प्यारे बाबू, दिल से निकले इस गुणगान को सुनकर मुस्कुराते हुए अपनी अंतिम यात्रा पर निकल पड़े। उनको अपनी लत का वजन कुछ कम महसूस हो रहा था शायद!!!

Language: Hindi
3 Likes · 4 Comments · 430 Views
Books from Umesh Kumar Sharma
View all

You may also like these posts

राम आए हैं तो रामराज का भी आना जरूरी है..
राम आए हैं तो रामराज का भी आना जरूरी है..
सुशील कुमार 'नवीन'
रामराज्य आदर्श हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम है (गीत)
रामराज्य आदर्श हमारा, तीर्थ अयोध्या धाम है (गीत)
Ravi Prakash
कविता : चंद्रिका
कविता : चंद्रिका
Sushila joshi
प्रेम के रंग कमाल
प्रेम के रंग कमाल
Mamta Singh Devaa
मानवीय मूल्य
मानवीय मूल्य
इंजी. संजय श्रीवास्तव
मैं नहीं हूं अपने पापा की परी
मैं नहीं हूं अपने पापा की परी
Pramila sultan
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
इतना गुरुर न किया कर
इतना गुरुर न किया कर
Keshav kishor Kumar
हाँ, मैं पुरुष हूँ
हाँ, मैं पुरुष हूँ
हिमांशु Kulshrestha
मैं अकेला नही हूँ ।
मैं अकेला नही हूँ ।
Ashwini sharma
स्त्री यानी
स्त्री यानी
पूर्वार्थ
बात चली है
बात चली है
Ashok deep
जिंदगी की राहों में, खुशियों की बारात हो,
जिंदगी की राहों में, खुशियों की बारात हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*न हों बस जैसा हों*
*न हों बस जैसा हों*
Dr. Vaishali Verma
होली आ रही है रंगों से नहीं
होली आ रही है रंगों से नहीं
Ranjeet kumar patre
हिंदी दोहे - भविष्य
हिंदी दोहे - भविष्य
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
जितने श्री राम हमारे हैं उतने श्री राम तुम्हारे हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"मौसम"
Dr. Kishan tandon kranti
6. *माता-पिता*
6. *माता-पिता*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
महादान
महादान
Dr. Pradeep Kumar Sharma
अच्छा लगा
अच्छा लगा
Kunal Kanth
विकास की बाट जोहता एक सरोवर।
विकास की बाट जोहता एक सरोवर।
श्रीकृष्ण शुक्ल
उलझा रिश्ता
उलझा रिश्ता
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
नेता के बोल
नेता के बोल
Aman Sinha
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
कल जब तुमको------- ?
कल जब तुमको------- ?
gurudeenverma198
ज़िंदगी
ज़िंदगी
Dr fauzia Naseem shad
3116.*पूर्णिका*
3116.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मुँह में राम बगल में छुरी।
मुँह में राम बगल में छुरी।
Vishnu Prasad 'panchotiya'
🙅लानत है🙅
🙅लानत है🙅
*प्रणय*
Loading...