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28 Jul 2020 · 1 min read

पानी में सब गाँव।

पानी-पानी ही दिखे,पानी में सब गाँव
चलती थी मोटर जहाँ,तैर रही है नाव।

बरसे बादल झूमके, नदियाँ हुईं अबन्ध
सड़कें सारी बह गईं, टूट गया तटबन्ध।

बाल,वृद्ध बेहाल हैं, नींद नहीं अब चैन
दिन घड़ियाँ गिनके कटे,काटे कटे न रैन।

बर्बादी को देखकर,चिंतित पड़ा किसान
बहा घरौंदा बाढ़ संग, गला खेत में धान।

कैसे पीले हाथ हों, कैसे हो अब ब्याह
बेटी क्वाँरी है पड़ी, यही भयंकर दाह।

एक आसरा राम का, करें भँवर के पार
वही हरेंगे दुख सकल, जीवन के अंगार।

अनिल मिश्र प्रहरी।

Language: Hindi
3 Likes · 8 Comments · 444 Views
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