आज़ाद गज़ल
मंजिल सफ़र में नहीं आते
रास्ते नज़र में नहीं आते ।
हौसला करूँ तो भला कैसे
इरादे ज़बर मे नहीं आते ।
(ज़बर =मजबूती से,दृढ़ता)
राजा हो या रंक,कौन है ऐसा ?
जो खुदा के घर मे नहीं आते ।
दफन हो जाती हैं कुछ चीखें
कभी जो खबर मे नहीं आते ।
काटें है पेड़ इस कदर हमनें
छाँव अब डगर मे नहीं आते ।
-अजय प्रसाद
AJAY PRASAD
TGT ENGLISH DAV PS PGC
BIHARSHARIF,NALANDA ,BIHAR
803216 ?9006233052