रंग रहे उमंग रहे और आपका संग रहे
दिल टूटेला छने छन कई बेर हो
- में लेखक तुम मेरी लेखिका -
वक्त से पहले किसे कुछ मिला है भाई
सच्ची मोहब्बत भी यूं मुस्कुरा उठी,
जाओ हम पूरी आजादी दे दिये तुम्हें मुझे तड़पाने की,
कैसे हो हम शामिल, तुम्हारी महफ़िल में
चुप रहने की आदत नहीं है मेरी
अंधेरों से कह दो की भटकाया न करें हमें।
भारत के वायु वीर
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आत्मनिर्भर नारी
Anamika Tiwari 'annpurna '
पढ़े साहित्य, रचें साहित्य