आज़ाद गज़ल
अच्छी सोंच को पनपने नहीं देंगे
जुगनुओं को वो चमकने नहीं देंगे ।
पिलाएंगे जाम मद भरी नजरों से
सितम ये है कि बहकने नहीं देंगे ।
घायल तो करेंगे तिरछी नजर से
मगर खुलकर वो तड़पने नहीं देंगे ।
सारी चालें तुम्हारी उल्टी ही पड़ेंगी
पाशे खेल के तुम्हे पलटने नहीं देंगें ।
लाख कर लो कोशिश तुम अजय
तुम्हारी गज़लों को छपने नहीं देंगे ।
-अजय प्रसाद