*रमेश कुमार जैन वृहद लेख (शोधकर्ता, कवि, पत्रकार) मूल लेख*
रमेश कुमार जैन बृहद लेख (शोधकर्ता, कवि, पत्रकार) मूल लेख
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रमेश कुमार जैन साहब मूल रूप से एक शोधकर्ता हैं । शोधकर्ता भी ऐसे कि जिस विषय पर अथवा जिस क्षेत्र में खोज करनी है ,जब तक उसकी गहराई में जाकर एक – एक चीज का प्रामाणिक रूप से परिचय प्राप्त नहीं कर लेंगे , तब तक वह संतुष्ट नहीं होते । उनके अनेक शोध कार्य इसीलिए अधूरे पड़े हैं क्योंकि अभी तक वह पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं। मैंने कई बार उनसे आग्रह किया कि आप जितना कार्य कर चुके हैं ,उन्हीं को प्रकाशित कर दें । लेकिन वह तैयार नहीं हैं। इसी श्रंखला में बाबा लक्ष्मण दास समाधि तथा कुछ अन्य कार्य भी रुके पड़े हैं।
बातों – बातों में रमेश कुमार जैन जी ने रामपुर के प्रसिद्ध आशु कवि स्वर्गीय श्री कल्याण कुमार जैन “शशि” जी का स्मरण किया । आपने बताया कि आपके बाग आनंद वाटिका में शशि जी की काव्य- – पुस्तक कलम का विमोचन श्री महावीर सिंह जी जज साहब के कर कमलों से आप ने कराया था । उसके उपरांत खराद काव्य पुस्तक का विमोचन तत्कालीन उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री चेन्ना रेड्डी के कर – कमलों से आनंद वाटिका में संपन्न हुआ था । यह दोनों ही कार्यक्रम बहुत प्रभावशाली रहे थे ।
चेन्ना रेड्डी के साथ अपने संपर्कों का एक स्मरण करते हुए आपने कहा कि एक बार चेन्ना रेड्डी साहब को रामपुर से गुजरना था और रुकना नहीं था । लेकिन जब मैं फूलों की माला लेकर गेस्ट हाउस, चर्च के सामने, सिविल लाइंस पर खड़ा हो गया और जब चेन्ना रेड्डी साहब की कार सामने से गुजरी, तब मैंने हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया और मुझे देखते ही चेन्ना रेड्डी साहब ने कार को रुकवाया ,पीछे किया और फिर उसके बाद कहने लगे “पीने का पानी क्या मिलेगा ?” बस फिर क्या था ,गेस्ट हाउस में जलपान का तो पूरा प्रबंध पहले से ही था । चेन्ना रेड्डी साहब रमेश कुमार जैन के साथ करीब आधा घंटा रुके रहे । लखनऊ स्थित श्री चेन्ना रेड्डी के निवास पर भी आपका उन दिनों जब वह गवर्नर थे अनेक बार जाना होता था ।
रमेश कुमार जैन वास्तव में एक मस्त फकीर हैं। दुनिया से लगभग बेखबर लेकिन इतिहास में और इतिहास की बारीकियों में डूबने वाली व्यक्ति हैं। वह कल्पनाओं में विचरण करते हैं और मूलतः मैं उन्हें एक कवि ही मानता हूँ। उनकी कविता की शैली अतुकांत है । सच पूछिए तो वह खुद में एक अतुकांत व्यक्ति हैं। अपने में खोए रहने वाले हैं । लेकिन अपनी हर गतिविधि से वह हमें उच्च मूल्यों से जोड़ते हैं।
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आज 4 दिसंबर 2021 शनिवार को साहित्यिक अभिरुचि से संपन्न इतिहास के गहन शोधकर्ता श्री रमेश कुमार जैन मेरी दुकान पर पधारे । मेरा सौभाग्य । आत्मीयता पूर्वक इधर-उधर की बातें कुछ देर चलती रही । एकाएक मेरे दिमाग में आपके द्वारा प्रकाशित रजत पत्रिका कौंध गई ।
“आप रजत पत्रिका भी तो निकालते थे ? कब से कब तक चली ?” मैंने रमेश कुमार जैन साहब से प्रश्न किया ।
उत्तर देने के लिए आपने अपनी जेब से एक छोटी सी डायरी निकाली । पूरी डायरी लिखित सामग्री से भरी थी । चलता-फिरता इतिहास हम उस डायरी को कह सकते हैं । 5 अक्टूबर 1986 को रजत पत्रिका का अंतिम अंक निकला था । पहला अंक 29 जनवरी 1977 को प्रकाशित हुआ था । उस समय आपातकाल चल रहा था। राज्यपाल डॉक्टर चेन्ना रेड्डी ने रामपुर पधार कर रजत पत्रिका का शुभारंभ किया था ।
“कार्यक्रम कहां हुआ था ? -मैंने पूछा।
” हमारे सभी कार्यक्रम आनंद वाटिका में ही होते थे। ”
मुझे स्मरण आता है कि आनंद वाटिका में कई दशक पहले मेरा कई बार जाना हुआ था । आनंद वाटिका एक सुंदर बाग है । तरह-तरह के पेड़ – पौधे इस बाग की शोभा बढ़ाते हैं । रामपुर-बरेली मार्ग पर यह आनंद वाटिका पड़ती है । 1985-90 के आसपास श्री रमेश कुमार जैन आनंद वाटिका में आमों की दावत भी करते थे तथा अनेकानेक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता था । मुझे भी कुछ अवसरों पर आनंद वाटिका में जाने का लाभ प्राप्त हुआ था ,यद्यपि उस समय श्री रमेश कुमार जैन से मेरा व्यक्तिगत विशेष परिचय नहीं था ।
“रजत पत्रिका का अंतिम अंक 5 अक्टूबर 1986 को प्रकाशित हुआ था । इस अंक में हमने ज्ञान मंदिर ,सौलत पब्लिक लाइब्रेरी तथा रजा लाइब्रेरी के बारे में विस्तार से सामग्री प्रकाशित की थी । इसके अलावा रामपुर के नवाबों के बारे में भी विस्तार से इस अंक में बताया गया था । उड़ीसा के राज्यपाल श्री विशंभर नाथ पांडे ने इस अंक का विमोचन किया था ।”
“क्या आपको पता था कि यह रजत पत्रिका का अंतिम अंक है ?”
“अरे नहीं! बिल्कुल भी अनुमान नहीं था। पत्रिका आगे भी प्रकाशित होती ,लेकिन हुआ यह है कि मेरा एक्सीडेंट हो गया। फ्रैक्चर हुआ , छह महीने घर पर रहा । सारी गतिविधियां ठप्प हो गईं। पत्रिका का निकलना बंद हो गया । ”
“एकाध अंक रजत का आपके पास अतिरिक्त रुप से हो तो देखने के लिए कभी दीजिए ? “-मैंने श्री रमेश कुमार जैन से निवेदन किया ।
वह थोड़ा सोच में पड़ गए लेकिन स्पष्ट रुप से कह दिया ” हम घर पर जिस टाँढ़ पर गठरी बनाकर रजत के अंक रखे हुए थे ,उस में दीमक लग गई । रजत के अंक तो नष्ट हुए ही, अनेक बहुमूल्य पुस्तकें भी दीमक की भेंट चढ़ गईं।”
” फिर भी कुछ रजत के बारे में बताइए ?”- हमारा अगला प्रश्न था ।
“रजत में समाचार नहीं छपते थे । हम उसे एक साहित्यिक पत्र के रूप में आगे बढ़ाते थे। शोध पर आधारित सामग्री रजत की विशेषता होती थी। हमने इतिहास के बारे में बहुत सी जानकारियां रजत के माध्यम से जनता को पहुंचाईं।”
श्री रमेश कुमार जैन जिस ऊर्जा और जीवनी-शक्ति से भरे हुए हैं ,उसको देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि रजत का एक दशक गंभीर साहित्यिक शोध-पत्रिकाओं के इतिहास का एक गौरवशाली स्वर्णिम अध्याय है ।
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अग्रणी सामाजिक कार्यकर्ता श्री रमेश जैन आज दिनांक 20 नवंबर 2021 को मेरी पुस्तक “कहते रवि कविराय” पर कुछ टिप्पणियों के साथ मेरी दुकान पर पधारे।
प्रसंगवश आपने जानकारी दी कि सब प्रकार के फूलों पर भौंरा मँडराता है लेकिन चंपा के फूल पर नहीं आता । जबकि चंपा का फूल जब खिलता है तो सबसे ज्यादा खुशबू फैलती है ।
हरसिंगार के फूलों को आपने बताया कि नजदीक से मैंने पेड़ों से झड़ते हुए देखा है ।यह वर्ष में कुछ खास अवधि में ही खिलते और झड़ते हैं । इसी तरह से सेमल का फूल है जिसकी लालिमा से एक प्रकार से शिवजी का अभिषेक होता है । एक फल संभवतः अलूचे का आपने नाम लिया था, जिसका फूल इतना सुंदर होता है कि अगर उसे कुछ सेकेंड के लिए भी टकटकी लगाकर देख लिया जाए तो नेत्रों की ज्योति बढ़ जाती है । मुझे याद आता है आपने कुछ समय पूर्व एक संस्मरण भी सुनाया था कि किस प्रकार पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर के द्वार पर आपने एक पेड़ देखा और उस पर जो कविता लिखी ,उस कविता के रचयिता की तलाश में वाइस चांसलर महोदय रामपुर में आप का पता ढूंढते रहे थे ।
बातचीत के मध्य आपने उल्लेख किया लोक अदालत में न्याय के आसन पर बैठकर लगभग 10 – 15 वर्ष तक सिविल मामलों के विवादों का फैसला करवाने में अपनी भूमिका का । आपने कहा कि तलाक करवाना कभी भी आपका ध्येय नहीं रहा। आप पति-पत्नी के विवादों को परस्पर सामंजस्य के साथ निपटाने के लिए प्रयत्नशील रहते थे ।आपने अनेक मुकदमे आपसी समझौते के आधार पर सुलह की ओर अग्रसर किए और परिवार बिखरने से बच गये।
एक मामले का उल्लेख करते हुए आपने बताया कि पति विवाह के पश्चात अपनी पत्नी को भेंट में जब कुछ न दे सका, तो इसी बात पर विवाद शुरू हो गया। बढ़ता गया । आपने पूछा कि सोने की वह उपहार की वस्तु कितने रुपए में आएगी ? लड़की ने कहा दो हजार में आ जाएगी । आपने अपनी जेब से दो हजार रुपए निकालकर उस लड़की को दे दिए । मामला चुटकियों में सुलझ गया । यद्यपि लड़की का पिता खुश नहीं था । आपने यह अनुभव किया है कि अनेक बार माता-पिता की दखलंदाजी से पति-पत्नी का दांपत्य जीवन बिखर जाता है। कई बार माता-पिता का लड़की को अपने साथ रखने में स्वार्थ होता है । विवाद का कारण कुछ भी हो ,आप की भूमिका मामले को खुशनुमा तरीके से निपटाने की रही ।
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल डॉ. चेन्ना रेड्डी से आपकी अच्छी मुलाकात रहती थी। आपके कथनानुसार तीन महीने में या तो चेन्ना रेड्डी साहब आपसे मिलने आ जाते थे या फिर लखनऊ राजभवन में आपको बुला लेते थे । यह निश्छल आत्मीयता से भरा संबंध था । आपने कभी भी अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए डॉक्टर चेन्ना रेड्डी से कुछ नहीं माँगा ।
सचमुच आप विचारों और कार्यों की दृष्टि से एक दिव्य चेतना से ओतप्रोत फकीर हैं ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
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