Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2020 · 3 min read

असंवेदनशील समाज का अमानवीय चेहरा

लेख विस्तारित है, स्वयं के लिए पढ़ना…

हर मनुष्य में दया ,प्रेम,क्रोध और ईर्ष्या जैसे गुण निश्चित अनुपात में होतें हैं ,यही अनुपातिक मिश्रण ही उसके मनुष्य से इंसान बनने की प्रकिया को सहज, सरल व संवेदनशील बनाता है।जिस मनुष्य में जितनी अधिक संवेदना होती है , वो अपने परिवार और समाज से उतना ही जुड़ा होता है,संवेदशील व्यक्ति ही मानवता को जन्म देता है।

आज हमारी कार्यक्षमता तो भरपूर है पर मानवीय संवेदना शून्य है। यही कारण है कि हाल-फिलहाल में घटी अमानवीय घटना भी हमें तनिक भी विचलित नहीं करती,व्यस्तता की दलीलें अब फ़ीकी पड़ रही है ,यह अमानवीय कृत है जिसका अधिगम हमनें स्वयं किया है ।

अस्पताल के गेट पर बच्चे का जन्म होना ,बलात्कार कर जिंदा जला देना ,कुल्हाड़ी से इंसान को काटना आदि क्रूरता कब सामान्य हो गयी पता ही न चला।
इन हृदयविदारक घटनाओं को हम समाचार की तरह जज्ब कर जाते है और हमारे नेता अपनी राजनैतिक रोटियां सेकने में पीछे नही रहते। पर अफसोस, उन रोटियों पर हम धर्म,रंग और जाति का बटर लगाने में तनिक भी संकोच नही करते ।इस कुंठाग्रस्त समाज को देखकर मन की संज्ञा शून्य हो जाती है।

आतंकवादी हमलों में हज़ारों जवानों के शहीद होने की ख़बर इतनी ब्रेकिंग हो चुकी है कि वह अब खुद हजार बार टूटकर बिखर चुकी है ,शहीद शब्द की संरचना इतनी विध्वंसक है कि कल्पना कर पाना मुश्किल है। क्या हम इतना संवेदनहीन हो गए है कि इन मामलों को भी राजनीतिक रंग देने में नही कतराते?हमारी मानवीयता समाप्त हो चुकी है?

बुद्धिजीवी प्रश्न करते है मजदूर पटरी पर क्यों सोते है?
पटरी पर सोएंगे तो मरने का खतरा तो बना ही रहेगा ..सुनकर सहज भाव नही उत्पन्न होते…लगता है कि…

पता नही पटरी पर देश है या देश पटरी पर हैं।
सच जो हो,पर कुछ तो नही हैं ,पटरी पर।।

जो पटरियों पर मरे हैं उनकी गलती निकालने से पहले जानिए कि वे आदिवासी थे यानि इस देश के पहले मालिक, इस जल जंगल जमीन के पहले हकदार। पहले उनके घर ज़मीन छीनी गयी फिर उनके जंगल और फिर उनकी जान। वो कैसे मरे कि जगह आपको ये सोचना था कि वो यूं दो रोटियों के लिये कमाने अपनी ज़मीन से इतनी दूर क्यों गये?

दुःख पर राजनीति का विचार एक इंसान का नही हो सकता, किसी के मरने पर उसके धर्म ,रंग मज़हब के हिसाब से रोने वाले लोग़ अपनी ख़ुद की आत्मा के सगे नही होते।वह सिर्फ स्वार्थ के होते है ,सत्ता के भोगी होते है बस इंसान नही होते।

इसीलिए आज इस बात पर गंभीरता से चिंतन और मनन करने की आवश्यकता है। यदि समय रहते हमारी मानवीय संवेदनाएं पुनः जागृत नहीं हुई और परिस्थितियां नहीं बदली तो हमारे परिवार और समाज का पतन अवश्यम्भावी है।

आज दुनिया में महान बनने की चाहत तो हर एक में हैं, पर पहले इंसान बनना अक्सर लोग भूल जाते हैं।सब को किनारे रख ,हमें इंसान बनने की कला को सीखना होगा और इंसानियत का एक बीज तो जरूर रोपना होगा क्योंकि..

इंसान तो हर घर में पैदा होते हैं, परन्तु इंसानियत कुछ ही घरों में जन्म लेती हैं.

Language: Hindi
Tag: लेख
11 Likes · 11 Comments · 726 Views

You may also like these posts

यादों का थैला लेकर चले है
यादों का थैला लेकर चले है
Harminder Kaur
#व्यंग्य-
#व्यंग्य-
*प्रणय*
ऋतुराज
ऋतुराज
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
बदलती फितरत
बदलती फितरत
Sûrëkhâ
जो जिंदगी लोग जी रहे हैं उससे अलग एक और जिंदगी है जिसे जी ले
जो जिंदगी लोग जी रहे हैं उससे अलग एक और जिंदगी है जिसे जी ले
पूर्वार्थ
"गुरु की कसौटी"
Dr. Kishan tandon kranti
राजकुमारी कार्विका
राजकुमारी कार्विका
Anil chobisa
कभी वो कसम दिला कर खिलाया करती हैं
कभी वो कसम दिला कर खिलाया करती हैं
Jitendra Chhonkar
तुम चंद्रछवि मृगनयनी हो, तुम ही तो स्वर्ग की रंभा हो,
तुम चंद्रछवि मृगनयनी हो, तुम ही तो स्वर्ग की रंभा हो,
SPK Sachin Lodhi
" चलो उठो सजो प्रिय"
Shakuntla Agarwal
We make Challenges easy and
We make Challenges easy and
Bhupendra Rawat
4159.💐 *पूर्णिका* 💐
4159.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जीवन में असफलता के दो मार्ग है।
जीवन में असफलता के दो मार्ग है।
Rj Anand Prajapati
सोया भाग्य जगाएं
सोया भाग्य जगाएं
महेश चन्द्र त्रिपाठी
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
धुंध में लिपटी प्रभा आई
धुंध में लिपटी प्रभा आई
Kavita Chouhan
आँचल की छाँह🙏
आँचल की छाँह🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
यहीं सब है
यहीं सब है
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
चाहे तुम
चाहे तुम
Shweta Soni
"जन्म से नहीं कर्म से महान बन"
भगवती पारीक 'मनु'
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
आ गई रंग रंगीली, पंचमी आ गई रंग रंगीली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*चली आई मधुर रस-धार, प्रिय सावन में मतवाली (गीतिका)*
*चली आई मधुर रस-धार, प्रिय सावन में मतवाली (गीतिका)*
Ravi Prakash
परिवर्तन
परिवर्तन
Ruchi Sharma
कोख / मुसाफिर बैठा
कोख / मुसाफिर बैठा
Dr MusafiR BaithA
माँ
माँ
Shikha Mishra
कुदरत और भाग्य......एक सच
कुदरत और भाग्य......एक सच
Neeraj Agarwal
क्यों आयी तू मेरी ज़िन्दगी में.
क्यों आयी तू मेरी ज़िन्दगी में.
Heera S
कब तक लड़ते-झगड़ते रहेंगे हम...
कब तक लड़ते-झगड़ते रहेंगे हम...
Ajit Kumar "Karn"
" LEADERSHIP OPPORTUNITY" ( ARMY MEMOIR)
DrLakshman Jha Parimal
Loading...