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25 Apr 2020 · 1 min read

ग़ज़ल में

मिली हो दाद सबकी जब ग़ज़ल में
सभी का दर्द है मतलब ग़ज़ल में

कभी भी डूबकर गर तुम सुनोगे
मिलेगा अक्स कोई तब ग़ज़ल में

लगे हैं मुँह फिराने लोग हमसे
खरी हमने भी कह दी जब ग़ज़ल में

ज़माने भर से तो मिलते रहे हैं
मगर खुद से मिले हैं कब ग़ज़ल में

मुहब्बत, दर्द सुनते थे मगर अब
सुनाई दे रहा मज़हब ग़ज़ल में

मिलेंगे ऐसे भी जग में सुखनवर
पता जिनको नहीं करतब ग़ज़ल में

मयस्सर हो ये मकसद शायरी का
अगर शामिल हो जाएं सब ग़ज़ल में

हसीनों से सजी ये बज़्म ‘सागर’
मुहब्बत बढ़ रही है अब ग़ज़ल में

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