बरेली में झुमका यहाँ गिरा…
“झुमका गिरा रे, बरेली के बाज़ार में…” यह गीत दशकों से गूंज रहा है, लेकिन सवाल अब भी वही है: झुमका गिरा तो गिरा कहां?
यह सवाल सिर्फ बरेली ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के लोगों को उलझन में डालता रहा है। दिलचस्प बात यह है कि खुद बरेली वालों के पास भी इसका ठोस जवाब नहीं था, लेकिन अब उन्होंने एक ठिकाना तय कर लिया है!
गीत की कहानी—कैसे जुड़ा बरेली का नाम?
यह सदाबहार गीत 1966 की फ़िल्म “मेरा साया” में साधना पर फिल्माया गया था। इसे मशहूर गीतकार राजा मेहंदी अली खां ने लिखा, मदन मोहन ने संगीतबद्ध किया, और आशा भोसले ने अपनी जादुई आवाज़ दी। लेकिन सवाल यह उठता है कि जब फिल्म की कहानी का बरेली से कोई लेना-देना नहीं था, तो गीत में इसका जिक्र क्यों आया?
लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, हरिवंश राय बच्चन और तेजी बच्चन की प्रेम कहानी के शुरुआती दिनों में दोनों किसी कवि सम्मेलन के लिए बरेली आए थे। वहां किसी ने तेजी बच्चन से मज़ाकिया अंदाज में पूछा—”आपका प्यार कब तक यूं ही चलेगा?” इस पर तेजी बच्चन ने हंसते हुए जवाब दिया—”मेरा झुमका तो बरेली के बाजार में गिर गया!”
राजा मेहंदी अली खां को यह किस्सा मालूम था। जब “मेरा साया” के गीत लिखने की बारी आई, तो उन्होंने हीरोइन का झुमका बरेली में गिरा दिया और इस तरह बरेली शहर हमेशा के लिए इस गीत से जुड़ गया।
एक और कहानी, सिपाही झुमका का जिक्र
कुछ लोगों का मानना है कि “झुमका” नाम का एक सिपाही था, जिसे बरेली के बाजार में मार दिया गया था। इसी घटना से प्रेरित होकर गीत लिखा गया। इसके अलावा बरेली को ऐतिहासिक रूप से पांचाल भी कहा जाता है, और यह द्रौपदी के नाम से भी जुड़ा है। चूंकि द्रौपदी झुमकों की शौकीन थीं, इसलिए यह भी संभव है कि गीतकार ने इसी संदर्भ को ध्यान में रखते हुए बरेली का नाम इस्तेमाल किया हो।
अब मिल गया झुमके का ठिकाना!
करीब पांच दशक तक यह सवाल अनसुलझा रहा कि झुमका आखिर गिरा कहां था। लेकिन अब बरेली के लोगों ने इसका जवाब खोज लिया है—रामपुर-नैनीताल तिराहे पर!
स्थानीय प्रशासन ने 14 मीटर ऊंचे झुमके का स्मारक मिनी बाइपास तिराहे पर स्थापित कर दिया है। यह झुमका इतना बड़ा है कि दूर से ही नजर आ जाता है। अब बरेली आने वाले हर सैलानी को बताया जा सकता है—”झुमका गिरा तो गिरा यहीं!”
प्रधानमंत्री मोदी ने भी किया जिक्र
इस गीत की लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बरेली आए, तो उन्होंने भी इस पर चुटकी लेते हुए कहा—”लोग बरेली आते हैं तो झुमके के बारे में पूछते हैं, पर उन्हें मिलता कुछ नहीं!”
शायद यही बात बरेली वालों को चुभ गई, और उन्होंने ठान लिया कि झुमके को अमर कर देना है। आज बरेली का यह झुमका स्मारक पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है।
अब जब कोई पूछे—झुमका गिरा तो गिरा कहां? तो बरेली वालों के पास इसका ठोस जवाब है…”रामपुर-नैनीताल तिराहे पर जाकर देख लो!”