दोहा
दिल में करते वास हैं ,सदा अवध पति राम ।
पल पल तेरे साथ है ,छोड़ जगत के काम ।
छलके यौवन गागरी ,धीरज खोते नैन ।
चंचल चितवन से नयन ,भरमाते हिय चैन।
फुटपाथ पर सो रहे ,चादर ओढ़े लोग।
जाड़ा भी शरमा गया, देख नींद का जोग।
सत्य सनातन देश को ,बांटे जब जब लोग ।
खाज हुई तब कोढ़ में ,कैसे साधे रोग ।
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव सीतापुर।
स्वरचित मौलिक रचना