Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2019 · 2 min read

पान की गुमटी

शहर की गली के नुक्कड़ पर उस पान वाले की गुमटी थी । उस पर लोगों का जमावड़ा लगा रहता था । जिसमें विद्यार्थी, वकील ,पत्रकार , राजनीति से जुड़े और विभिन्न व्यवसाय में लगे लोग शामिल रहते थे । ज्ञान चर्चा से लेकर राजनीति कानून और अन्य विषयों पर चर्चाएं होती रहती थी। पान वाले का धंधा खूब जोरों से चलता था कुछ लोगों का प्रतिदिन का नियम था पान खाना और चर्चा करना जिसमें हर वर्ग का व्यक्ति सम्मिलित होता था। ताजा खबरें पहले उस पान वाले की दुकान पर मिलती थी कि फलाँ व्यक्ति की फलाँ व्यक्ति से लड़ाई हो गई है। फलाँ जगह पुलिस ने छापा मारा है और फलाँ को गिरफ्तार कर लिया है । इस तरह सनसनीखेज घटनाओं का उल्लेख होता रहता था । पान वाला भी अपना विश्लेषण उन घटनाओं में दिया करता था । वक्त गुजरता गया पानवाला बदस्तूर अपना धंधा वहां चलाता रहा । मैं भी नौकरी के सिलसिले में उस शहर से ट्रांसफर होकर दूसरे शहर में आ गया और फिर कई शहरों में नौकरी के सिलसिले में रहा । करीब 19 साल बाद जब मैं उस शहर पहुंचा तो मेरी इच्छा हुई कि उस पान वाले की गुमटी पर पान खाने जाऊँ। जब मैं वहां पहुंचा तो मुझे देखकर आश्चर्य हुआ कि अभी भी वहां का पान की गुमटी मौजूद थी । उस पर बैठा एक लड़का पान लगा रहा था । मैंने उससे पूछा कि पहले जो पान लगाते थे वो कहाँ हैं । उसने बताया कि वे मेरे पिताजी थे जिनकी कुछ समय पहले सड़क दुर्घटना में मौत हो चुकी थी। उन्होंने अपनी मेहनत से कमाई कर एक होटल खड़ा किया जो अच्छा चल रहा है। परंतु उन्होंने मुझसे वचन लिया था कि मैं इस गुमटी को चलाऊंँ , और इस धंधे को उनकी सौगात मानकर कायम रखूँ । मैं उस पान वाले के बेटे की बात सुनकर अचंभित् हुआ, सोचा आज भी अपने छोटे से छोटे धंधे को लोग सम्मान देते हैं। और उसको कायम रखने में गर्व महसूस करते हैं । जितना भी व्यापार में उन्नति कर लें पर वे अपने मूल व्यापार को दिल से लगा कर रखते हैं । मेरा सर उस पान वाले की श्रृद्धा में झुक गया।

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 754 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

*शिवरात्रि*
*शिवरात्रि*
Dr. Priya Gupta
सत्य की विजय हुई,
सत्य की विजय हुई,
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
जीवन में सारा खेल, बस विचारों का है।
Shubham Pandey (S P)
हर तरफ़ हैं चेहरे जिन पर लिखा है यूँ ही,
हर तरफ़ हैं चेहरे जिन पर लिखा है यूँ ही,
पूर्वार्थ
अकेले मिलना कि भले नहीं मिलना।
अकेले मिलना कि भले नहीं मिलना।
डॉ० रोहित कौशिक
*शिक्षक जुगनू बन जाते हैँ*
*शिक्षक जुगनू बन जाते हैँ*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
किसी भी बात पर अब वो गिला करने नहीं आती
किसी भी बात पर अब वो गिला करने नहीं आती
Johnny Ahmed 'क़ैस'
आ गए आसमाॅ॑ के परिंदे
आ गए आसमाॅ॑ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
अपने  होने  का  क्या  पता   दोगे ।
अपने होने का क्या पता दोगे ।
Dr fauzia Naseem shad
2990.*पूर्णिका*
2990.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
-एक गलती की सजा भुगत रहा हु -
-एक गलती की सजा भुगत रहा हु -
bharat gehlot
जय श्री कृष्ण
जय श्री कृष्ण
Neeraj Kumar Agarwal
हमारी खुशी हमारी सोच पर निर्भर है। हम शिकायत कर सकते हैं कि
हमारी खुशी हमारी सोच पर निर्भर है। हम शिकायत कर सकते हैं कि
Ranjeet kumar patre
जिनके अंदर जानवर पलता हो, उन्हें अलग से जानवर पालने की क्या
जिनके अंदर जानवर पलता हो, उन्हें अलग से जानवर पालने की क्या
*प्रणय प्रभात*
कप और ग्रिप
कप और ग्रिप
sheema anmol
पत्नी के डबल रोल
पत्नी के डबल रोल
Slok maurya "umang"
यू तो गुल-ए-गुलशन में सभी,
यू तो गुल-ए-गुलशन में सभी,
TAMANNA BILASPURI
!!समय का चक्र!!
!!समय का चक्र!!
जय लगन कुमार हैप्पी
दोस्ती में हम मदद करते थे अपने यार को।
दोस्ती में हम मदद करते थे अपने यार को।
सत्य कुमार प्रेमी
अब ना होली रंगीन होती है...
अब ना होली रंगीन होती है...
Keshav kishor Kumar
*डॉक्टर सावित्री गुप्ता जी (1 मार्च 1943 - 15 दिसंबर 2024): श्रद्धॉंजल
*डॉक्टर सावित्री गुप्ता जी (1 मार्च 1943 - 15 दिसंबर 2024): श्रद्धॉंजल
Ravi Prakash
सुस्वागतम......*****..
सुस्वागतम......*****..
Bimal Rajak
वह और तुम
वह और तुम
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
महाशिवरात्रि
महाशिवरात्रि
Neerja Sharma
ये जिंदगी गुलाल सी तुमसे मिले जो साज में
ये जिंदगी गुलाल सी तुमसे मिले जो साज में
©️ दामिनी नारायण सिंह
तेरी याद दिल से निकाली नहीं जाती
तेरी याद दिल से निकाली नहीं जाती
Jyoti Roshni
कविता - शैतान है वो
कविता - शैतान है वो
Mahendra Narayan
"इंसाफ का तराजू"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रीति रीति देख कर
प्रीति रीति देख कर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
चलो चुरा लें आज फिर,
चलो चुरा लें आज फिर,
sushil sarna
Loading...