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28 Oct 2019 · 1 min read

जब जमघट छंट जाता है

जब जमघट छंट जाता है,
नितांत अकेलापन तब सताता है,
कुछ समय पहले, ख़ुशियाँ थी, अपनापन था,
हसीं ठठा था, अपने थे, बेगाने थे,
सब थे, सब साथ थे,
त्योहारों का मज़ा और एकाकीपन का मज़ाक था,
अब जा चुके हैं सब अपनी अपनी राह,
यादों का झरोखा सब याद दिलाता है,
अकेलापन और सताता है,
जब जमघट छंट जाता है !!

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