Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल सगीर

वह एक शक्स जो देकर गया गुलाब मुझे।
उसी का प्यार मयस्सर है बे हिसाब मुझे।
❤️
जो डूबा रहता है मस्ती में हर घड़ी हर पल।
पिला दे साकी मोहब्बत की वो शराब मुझे।
❤️
यह माना दुनिया में होंगे बहुत हसीन मगर।
हमारा प्यार ही लगता है लाजवाब मुझे।
❤️
मेरी निगाहों से वो दिल में बस गए आकर।
तमाम फूलों में करना था इंतखाब मुझे।
❤️
वह मेरा चांद है रोशन है उसी से जीस्त मेरी।
वह महताब भी लगता है आफताब मुझे।
❤️
झुकी है शर्म से पलके अटक गए अल्फाज़।
तेरे सवाल का आता नहीं जवाब मुझे।

सगी़र सब का नज़रिया है उसको पाने का
दिल मेरा मुतमईं कहता है कामयाब मुझे।

Loading...