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19 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

थोड़ा-थोड़ा-सा काम का हूँ मैं ।
कौन क्या है ये जानता हूँ मैं ?

यूँ नहीं आपसे मेरा रिश़्ता,
आपको दिल से मानता हूँ मैं ।

दूसरों को कभी नहीं देखा,
ख़ुद के भीतर ही झाँकता हूँ मैं ।

डोर माँ ने जो बाँध दी मुझको,
माँ नहीं है मगर बँधा हूँ मैं ।

नाम “ईश्वर” रखा पिताजी ने,
उनके चरणों की वंदना हूँ मैं ।

—– ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

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