विजयादशमी के बाद
जल गया रावण अहंकार रह गया
फ़िर एक दफ़ा राम लाचार रह गया ।
मोह,माया ,क्रोध, वासना और लालच
अंदर आदमी के ज़िंदा विकार रह गया ।
आचरण में इंसानियत और सच्चाई
बन के फ़कत आज विचार रह गया ।
शैतान शर्मिन्दा है हरकतों पे हमारी
हो के सादगी का वो शिकार रह गया ।
फ़िर न होश में आ सका ये ज़माना
मानसिक रूप से जो विमार रह गया ।
कोई काम न आई तेरी सब कोशिशें
अजय तू आज तक बेकार रह गया ।
-अजय प्रसाद