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9 Jun 2019 · 1 min read

मुक्तक

मैं शाम होते ही किधर जाता हूँ?
मैं तेरे ख़्यालों से घबराता हूँ।
इस क़दर ख़ौफ़ होता है यादों का-
ज़ाम की महफ़िल में नज़र आता हूँ।

मुक्तककार- #मिथिलेश_राय

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