मुक्तक
“पतझर को कैसे हम भला बहार लिख दे,
उड़ती धूल को सावन की फुहार लिख दे,
यह वो क़लम है जिसमें सच की स्याही छलक रही
एक लुटेरे को कैसे यारों ईमानदार लिख दे “
“पतझर को कैसे हम भला बहार लिख दे,
उड़ती धूल को सावन की फुहार लिख दे,
यह वो क़लम है जिसमें सच की स्याही छलक रही
एक लुटेरे को कैसे यारों ईमानदार लिख दे “