मुक्तक
” ज़िंदगी मेरी हर पल बदलती रही,
दिन गुज़रते रहे, साँस चलती रही,
वेदना अश्रु-पानी बनी, बह गई,
धूप ढलती रही, छाँह छलती रही “
” ज़िंदगी मेरी हर पल बदलती रही,
दिन गुज़रते रहे, साँस चलती रही,
वेदना अश्रु-पानी बनी, बह गई,
धूप ढलती रही, छाँह छलती रही “