Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 May 2024 · 4 min read

राम का चिंतन

राम का चिन्तन

राम, सीता , और लक्ष्मण चित्रकूट पर मंदाकनी नदी के किनारे चांदनी रात का रस ले रहे थे , पवन धीरे धीरे बह रहा था। पिछले कुछ दिनों से सोने से पहले यहां आकर बैठना और विभिन्न विषयों पर चर्चा करना , उनका नित्यकर्म हो गया था। यही वह समय होता जब वे अपने दिनभर के कामों की चर्चा करते, भविष्य की योजनायें बनाते और अयोध्या , मिथिला , गुरु विस्वामित्र , गुरुकुल आदि की बातें करते।

लक्ष्मण ने कहा , “ अयोध्या तो हमारे मन में बसी है , परन्तु इस तरह जंगल में इस उन्मुक्तता का अनुभव करना भी अद्भुत है , मन की सारी अनावश्यक परतें एकएक करके गिरती जाती हैं , जो रह जाता है , वह है शुद्ध चैतन्य,अनंत उत्सुकता , और कोमलता। ”

राम और सीता हंस दिये, “ कभी कभी तुम पूरे दार्शनिक हो उठते हो। ” राम ने कहा।

“ आप भी तो भैया , जब जंगल वासियों से या ऋषि मुनियों से बातें करते हो तो राजकुमार कहाँ रह जाते हो , एक साधक , एक अन्वेषक हो उठते हो। ”

“ तो क्या एक राजा को यह दोनों नहीं होना चाहिए ? “ सीता ने कहा।

राम मुस्करा दिए , “ मेरे विचार से तो राजा को आजीवन विद्यार्थी रहना चाहिए। हमारी प्रजा में कितने संगीतज्ञ , गणतिज्ञ ,साहित्यकार , और न जाने कितने गुणीजन हैं, जिनके समक्ष मेरा ज्ञान तृण मात्र भी नहीं, राजा तो बस इन सब के लिए ऐसा वातावरण बनाने का प्रयास करता है , जहाँ यह निश्चिन्त होकर अपनी प्रतिभा का विकास कर सकें। ”

“ परन्तु यह वातावरण तैयार कर सकना भी तो सरल नहीं। ” लक्ष्मण ने कहा।
“ सरल और कठिन होना तो अपनी रूचि पर निर्भर है। “ सीता ने कहा।
“ तो क्या मात्र रूचि पर्याप्त है भैया ?” लक्ष्मण ने राम को उत्सुकता से देखते हुए कहा।
“ रूचि आरम्भ है लक्ष्मण “ राम के बजाय सीता ने उत्तर दिया।
“ तो भैया , सबसे कठिन क्या है ?” लक्ष्मण की दृष्टि राम पर टिकी रही ।
“ न्याय देना। ” राम ने कहीं दूर देखते हुए कहा।
“ तो क्या न्याय राजा की इच्छानुसार होना चाहिए ?” लक्ष्मण अभी भी राम को देखे जा रहे थे, मानो उत्तर के लिए व्याकुल हों ।
“ नहीं न्याय सबके लिए समान है , इसलिए वह व्यक्ति विशेष पर निर्भर नहीं। ” राम ने सोचते हुए कहा ।
“ जब कानून परिभाषित है तो फिर कठिनाई क्या है ?” लक्ष्मण ने बल देते हुए कहा ।
राम मुस्करा दिए , “ सीता तुम्हारा क्या कहना है इस विषय पर ?”
“ मेरे विचार से कानून की गहराई से पता चलता है , कि वह समाज बौद्धिक और मानसिक रूप से कितना उन्नत है। “ सीता ने सहज मुस्करा कर कहा ।
“ और यह उन्नत होना क्या है ?” लक्ष्मण ने पूछा।
“ उन्नत्त का अर्थ है उसमें दोषी और निर्दोषी का निर्णय होने के बाद क्षमा और सहानुभूति का कितना स्थान है। ” राम ने द्रवित होते हुए कहा।
“ अच्छा लक्ष्मण यह बताओ, कानून तो नैतिकता पर आधारित होने चाहियें , फिर नैतिक अनैतिक का निर्णंय कैसे हो ? “ राम ने लक्ष्मण के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
“ भैया , अब आप मुझे उकसा रहे हैं। ”
राम और सीता हंस दिए ,” तुम्हारे भैया तुम्हें उकसा नहीं रहे , भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं। यूँ तो हमारे यहां शिक्षा जहाँ गुरु शिष्य बैठ जाते हैं , वहां आरम्भ हो जाती है , पर एक शिक्षा वो भी होती है , जो मनुष्य ध्यान में, चिंतन द्वारा अपने मन की गहराइयों से पाता है , इस प्रश्न का सम्बन्ध मन की गहराइयों से है। ” सीता ने स्नेह से कहा ।
“ अर्थात् हम नैतिकता अनैतिकता के ज्ञान के साथ जन्म लेते हैं! “
” हाँ मेरे भाई , और उसी सूक्ष्म नैतिकता के आधार पर हम न्यायप्रणाली का भवन खड़ा कर देते हैं ।”

इससे पहले कि लक्ष्मण अपना अगला प्रश्न रखते , उन्होंने देखा दूर से ढोल , मंजीरे बजाते कुछ स्त्री पुरुषों का झुंड उनकी ओर बड़ा आ रहा था।

सीता ने कहा , “ इस चांदनी रात में इनको नींद कहाँ , सारी रात गायेंगे, नाचेंगे। ” फिर उन्होंने लक्ष्मण को देखते हुए कहा , “ ऐसे अवसरों पर मुझे उर्मिला की बहुत याद आती है। परिस्थतयाँ अक्सर हमारे हाथ में नहीं होती, तुम दोनों के साथ जो हुआ , वह विषय न्याय अन्याय से भी परे है। ”

“ भाभी , आप अपने पर बोझ न लें , धैर्य का प्रश्न भी नैतिकता से जुड़ा है , हमें अपना कर्तव्य निभा लेने दें। ” लक्ष्मण ने मुस्करा कर कहा ।
राम ने सीता की तरफ देखकर आंख की इशारे से उन्हें शांत होने क़े लिए कहा।

ढोल मंजीरे क़े स्वर एक दम निकट आ गए थे। वे तीनों उनके स्वागत में उठ खड़े हुए ।

जंगल संगीत लहरी में झूम उठा , हर कदम थरथरा उठा।

—_____ शशि महाजन

80 Views

You may also like these posts

शीर्षक -श्रीराम उत्सव!
शीर्षक -श्रीराम उत्सव!
Sushma Singh
"आईना सा"
Dr. Kishan tandon kranti
क्या करना उस मित्र का, मुँह पर करता वाह।
क्या करना उस मित्र का, मुँह पर करता वाह।
डॉ.सीमा अग्रवाल
शायरी - संदीप ठाकुर
शायरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
Cool cool sheopur
Cool cool sheopur
*प्रणय*
हौसला बुलंद और इरादे मजबूत रखिए,
हौसला बुलंद और इरादे मजबूत रखिए,
Yogendra Chaturwedi
“सन्धि विच्छेद”
“सन्धि विच्छेद”
Neeraj kumar Soni
गुरु पर कुण्डलियाँ
गुरु पर कुण्डलियाँ
sushil sharma
नारी-शक्ति के प्रतीक हैं दुर्गा के नौ रूप
नारी-शक्ति के प्रतीक हैं दुर्गा के नौ रूप
कवि रमेशराज
गीत- किताबों से करें बातें...
गीत- किताबों से करें बातें...
आर.एस. 'प्रीतम'
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आकाश में
आकाश में
surenderpal vaidya
किसी काम को करते समय मजा आनी चाहिए यदि उसमे बोरियत महसूस हुई
किसी काम को करते समय मजा आनी चाहिए यदि उसमे बोरियत महसूस हुई
Rj Anand Prajapati
बड़ा ही सुकूँ देगा तुम्हें
बड़ा ही सुकूँ देगा तुम्हें
ruby kumari
परम् गति दियऽ माँ जगदम्बा
परम् गति दियऽ माँ जगदम्बा
उमा झा
3.बूंद
3.बूंद
Lalni Bhardwaj
4143.💐 *पूर्णिका* 💐
4143.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*देखा यदि जाए तो सच ही, हर समय अंत में जीता है(राधेश्यामी छं
*देखा यदि जाए तो सच ही, हर समय अंत में जीता है(राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
मेरी पावन मधुशाला
मेरी पावन मधुशाला
Rambali Mishra
मदिरा
मदिरा
C S Santoshi
"मैं आज़ाद हो गया"
Lohit Tamta
My broken lashes
My broken lashes
Ankita Patel
स्वागत !
स्वागत !
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
बाल्टी और मग
बाल्टी और मग
कार्तिक नितिन शर्मा
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Seema Garg
भूलभूलैया
भूलभूलैया
Padmaja Raghav Science
दीपावली उत्सव
दीपावली उत्सव
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दिल तेरी राहों के
दिल तेरी राहों के
Dr fauzia Naseem shad
कविता के शब्द
कविता के शब्द
Dr.Pratibha Prakash
"मैं एक पिता हूँ"
Pushpraj Anant
Loading...