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12 Dec 2018 · 1 min read

मेरे शब्द…..

अक्सर जब खुद से दूर जाता हूँ
तो लिख लेता हूँ
खुद को समेटकर
फिर वापस वहीं पाता हूँ
कुछ ख़्वाब बुन लेता हूँ कभी
तो छला जाता हूँ किस्मत के हाथों
भूलकर फिर अपने मे मस्त हो जाता हूँ
लेकिन इस बार ख्वाब बड़ा था
और मै दोयम दर्जे का
शायद समय लगे लेकिन
ये भी भर जाएगा
फिर जीवन का एक नया अध्याय शुरु हो जाएगा
और ये बंदा फिर मस्त हो जाएगा
बेशक सब कुछ लुट जाए
किंतु मेरे शब्द न मिटने पाएं
सदैव साथ निभाएं और
मेरे जज्बातों मे घुल जाएं
अपने ही शब्दों को देख
बस दिल मुस्कुराता जाए………..

#निखिल_कुमार_अंजान……

Language: Hindi
537 Views
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