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25 Nov 2018 · 1 min read

ग़ज़ल — यूँ न बस दूर से सलाम करें

2122 1212 22/112
तरही ग़ज़ल
**** *****

पास में भी ज़रा मुक़ाम करें
यूँ न बस दूर से सलाम करें

यूँ हुआ है चिराग़ कब रौशन
तेल का भी तो इंतज़ाम करें

खूब घूमे नगर नगर जाकर
”आप अब और कोई काम करें”

क्यूँ भटकना इधर उधर जाकर
माँ के कदमों में चार धाम करें

बागबां ख़ुद चमन जला देगा
उसकी कोशिश चलो हराम करें

हो रहा है धुआँ धुआँ सब कुछ
क्यूँ न बादल का एहतमाम करें

खूब मग़रूर हैं क़दम उनके
प्यार करके उन्हें ग़ुलाम करें

ये सितारे कमर की ज़ीनत हैं
मेरे घर में भी एक शाम करें

— क़मर जौनपुरी

3 Likes · 2 Comments · 322 Views

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