मुक्तक
शमा की तेज़ लौ होते धुआँ तो हो ही जाता है,
करो जब फ़ायदे का काम ज़ियाँ तो हो ही जाता है,
नतीजे के लिए बैठे रहे हम उम्र भर यारों
कहाँ समझे कि पहले इम्तिहाँ का दौर आता है।
शमा की तेज़ लौ होते धुआँ तो हो ही जाता है,
करो जब फ़ायदे का काम ज़ियाँ तो हो ही जाता है,
नतीजे के लिए बैठे रहे हम उम्र भर यारों
कहाँ समझे कि पहले इम्तिहाँ का दौर आता है।