हो सके तो तुम स्वयं को गीत का अभिप्राय करना।
बेशक संघ ने काम अच्छा किया है, आगे भी करेगा।
लिखा है किसी ने यह सच्च ही लिखा है
जनता जाने झूठ है, नेता की हर बात ।
कुदरत तेरा करतब देखा, एक बीज में बरगद देखा।
आंगन आंगन पीर है, आंखन आंखन नीर।
वर्तमान समय में महिलाओं के पुरुष प्रधान जगत में सामाजिक अधिकार एवं अस्मिता हेतु संघर्ष एक विस्तृत विवेचना
मुझे लगता था किसी रिश्ते को निभाने के लिए
बन के देखा है मैंने गुलाब का फूल,
सारे जग को मानवता का पाठ पढ़ा कर चले गए...
लोग महापुरुषों एवम् बड़ी हस्तियों के छोटे से विचार को भी काफ
वामांगी सिखाती गीत।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)